शिरडी साई : साई चरित्र एक मजाक या पांखड





गणितीय विवेचन :—

{एक और बड़ा खुलासा}

1. “साईं सच्चरित्र” लिखे जाने का कम से कम वर्ष सन 1926 !

2. बाबा 16 वर्ष में दिखे, 3 वर्ष रहे फिर 1 वर्ष गायब इस प्रकार 20 वर्ष की आयु में बाबा का शिर्डी पुनः आगमन व मृत्यु होने तक वही निवास ! साईं बाबा का जीवन काल 1838 से 1918 (80 वर्ष) तक था (अध्याय 10)

अर्थात बाबा 20 वर्ष के थे सन 1858 में ! इस किताब में जितनी भी बाबा की लीलाएं व चमत्कार लिखे गये है वे सभी 20 वर्ष के आयु के पश्चात के ही है , क्यू की 20 वर्ष की आयु में ही वे शिर्डी में मृत्यु होने तक रहे !

3. स्पष्ट है जो लीला बाबा ने सन 1858 से करनी प्रारंभ की वो लिखी गई इस किताब में सन 1926 में ! अर्थात (1926-1858) 68 वर्षों पश्चात !

अब जरा दिमाग, बुद्धि व अपने विवेक का प्रयोग करिये और सोचिये 68 वर्ष पुराणी घटनाओं को इस किताब में लिखा गया वो कितनी सही होंगी ?????

अब यदि ये माने की किताब लिखने वालों ने जो भी लिखा है वो सब आँखों देखा हाल है तो किताब लिखने वालों की सन 1858 में आयु क्या होगी ???

ध्यान से समझे :–

1. जैसा की किताब लिखने वाले बहुत ही चतुर किस्म के लोग थे तभी उन्होंने इस किताब को उलझा कर रख दिया, बाबा के सन्दर्भ में जहाँ जहाँ उनकी आयु व लीला करने का सन लिखने की नोबत आयी वहां वहां उन्होंने बाते एक ही स्थान पर न लिख कर टुकड़ों में लिखी जैसे : बाबे के सर्वप्रथम देखे जाने की आयु लिखी 16 वर्ष पर सन नही लिखा —–> अध्याय 4 में जीवन काल 1838 से 1918 लिखा

—–>अध्याय 10 में इस बिच बाबे के 3 वर्ष, आयु 16 से 19 को पूरा गायब ही कर दिया ! और बचपन पूरा अँधेरे में है युवक –>व्यक्ति/फ़क़ीर–>युवक —>व्यक्ति/पुरुष इस चतुराई से साफ है की वे (किताब लिखने वाले) 40 से 60 वर्ष के रहे होंगे सन 1926 में जब किताब लिखनी प्रारंभ की !

1. हम 40 वर्ष माने तो 1858 में वे(किताब लिखने वाले) पैदा भी नही हुए ! 1926-40=1886>1858

२. किताब लिखने वालों की आयु सन 1926 में 50 वर्ष माने तो भी वे 1858 में पैदा नही हुए !

३. 60 वर्ष माने तो भी पैदा नही हुए —-> 1926-60 = 1866 > 1858

4. 68 वर्ष माने तो किताब लिखने वाले जस्ट पैदा ही हुए थे जब बाबा 20 वर्ष के थे —> 1926-68=1858 (1858=1858) ये तो संभव ही नही की किताब लिखने वाले सन 1858 में जन्मे और जन्म लेते ही बाबे की लीलाए देखि समझी और 1926 में किताब में लिख दी हो !

तो अब क्या करे ??? किताब लिखने वालों की आयु 68 वर्ष होने भी संभव नही, आयु बढ़ानी पड़ेगी ! माना किताब लिखने वाले बाबे की लीलाओं के समय (सन 1858 से आगे तक) थे 20 वर्ष के,

अर्थात बाबे की और किताब लिखने वालों की आयु सन 1858 में 20वर्ष (एक बराबर) थी !

क्यू की कम से कम 20 वर्ष आयु लेनी ही पड़ेगी तभी उन्होंने 1858 में लीलाए देखि होंगी व समझी होंगी !

1. 1858 में 20 वर्ष के तो सन 1926 में हुए —-> 88 वर्ष के (कम से कम ) बाबा खुद ही 80 वर्ष में मर गये तो 88 वर्ष का व्यक्ति क्या जीवित होगा ?? यदि होगा तोभी 88 वर्ष की आयु में ये किताब लिखा जाना संभव ही नही, 88 वर्ष का व्यक्ति चार पाई पकड़ लेता है ! फिर में कह चूका हु की ये किताब लिखने का काम करने वाले चतुर जवान लोग थे ! लगभग 40 से 60 वर्ष के बिच के !

और इन आयु का व्यक्ति 1858 में पैदा भी नही हुआ !!…………………..झूठ नं 8

ये किताब पूरी एक महाधोखा है !

ये राजू के जन्म के पश्चात लिखी गई और कोरे झूठ ही झूठ है इसमें !

एक और झूठ : फ़क़ीर से साधू बनाने का प्रयास :– निम्न तस्वीर में बिच वाला साईं नही है ! बिच वाले व्यक्ति की तस्वीर , दाये-बाये (असली साईं) की जगह लेने का प्रयास कर रही है ! यदि ध्यान नही दिया गया तो असली साईं की तस्वीर बिच वाली तस्वीर से बदल दी जाएगी । क्योकि बिच वाले की सूरत भोली है !…………………………..झूठ नं 9 “Recently there appeared on some websites what was claimed to be a recently discovered photo of Shirdi Sai Baba.It is clearly a photo of that much revered Indian ‘saint’.”

बिच वाले बाबा के माथे पर बंधा कपडा भी नकली है ! गौर से देखें :- photo shop से एडिट किया हुआ है !

मेने नही किया है इस साईट पर उपलब्ध है :– http://robertpriddy.wordpress.com/2008/07/04/undiscovered-photo-of-shirdi-sai-baba/

जब इन व्याकरणिक व आनुशासनिक नियमोँ से इतना से इतना खिलवाड़ है, तो साईँ केझूठे पाखंडवादी चमत्कारोँ की बात ही कुछ और है! कितने शर्म की बात है कि आधुनिक विज्ञान के गुणोत्तर प्रगतिशिलता के बावजूद लोग साईँ जैसे महापाखंडियोँ के वशिभूत हो जा रहे हैँ॥ क्या इस भूमि की सनातनी संताने इतनी बुद्धिहीन हो गयी है कि जिसकी भी काल्पनिक महिमा के गपोड़े सुन ले उसी को भगवान और महान मानकर भेडॉ की तरह उसके पीछे चल देती है ? इसमे हमारा नहीं आपका ही फायदा है …. श्रद्धा और अंधश्रद्धा में फर्क होता है, श्रद्धालु बनो ….

भगवान को चुनो …

6 Jul 2015